Saturday, December 20, 2008

मधुराष्टकम् - Sung by Vijay Yesudas




madhurashtakam, beautifully created by shree Vallabhacharya, denotes to almighty shree Krishna that o lord! u r as a whole, beautiful.

मधुराष्टकम् is a praise of lord Krishna. by checking the words of मधुराष्टकम्, we can feel the depth of it, love of Shree Vallabhacharya towards shree krishna.

here, i m putting मधुराष्टकम् sung by Vijay Yesudas, son of famous singer Yesudas. विजय येसुदासजी की आवाज़ के विषय पर बस इतना ही कहूंगा की this is one of the most beautiful, sweet and soft classical voice i ve ever heard। अपने पुरे ह्रदयभावसे उन्होंने यह स्तुति गाई है।

another thing, this is a "kind of" fusion music. so, here u ll listen pakhaavaj as well as drus and special effects also.
it makes overall a beautiful ambience.


तो, लीजिये सुनिए... मधुराष्टकम्...

Saturday, October 18, 2008

A masterpiece from a great master. A.R.Rahman, in his latest movie YUVVRAAJ.

दो दिन पहले एक नई मूवी की म्यूजिक लॉन्च हुई। फ़िल्म का नाम " युवराज" , संगीतकार " ऐ आर रहमान ", गीतकार " गुलज़ार" ..... अब कुछ लिखने की गुंजाइश है???

यह गाना एक " mix salaad" है । राग काफ़ी ( या भीमपलासी??) पर आधारित बहुत ही खूबसूरत गाना जिसकी गायकी शास्त्रीय है और म्यूजिक वेस्टर्न ( pure D.J. trance music)

इस गाने को गाया है विजय प्रकाश ने, and i have no words about describing the singing beauty.... बेजोड़, सही में बेजोड़ गायकी .....

और कोम्पोसिशन??? उसका तो क्या कहना.... काफ़ी का छोटा ख़याल ही पेश करा दिया है रहमान साहब ने... interlutes में स्ट्रिंग्स की symphony भी कमाल की है....

actually आज कुछ ज्यादा लिख नही पा रहा हु, क्योंकि दिमाग में ये गाना ही सर चढ़ गया है...
एक काम कीजिये.... आप इसे सुन लीजिये.... और फ़िर आपको भी लगेगा की... "सर चढ़ जाना लाज़मी है"



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ये रहे गाने के बोल....
तोम तोम ताना तोम तोम ताना तोम तोम ताना
ताना नाना नाना नाना
तोम तोम ताना तोम तोम ताना
ताना ना ताना ना ताना ना ताना ना

लट उलझी सुलजा जा बालम
माथे की बिंदिया बिखर गई है ,
अपने हाथ से सजा जा बालम,

मनमोहिनी मन भावे ....

Friday, September 12, 2008

बेंडिट क्वीन का राग देस पर आधारित सुंदर गीत ....

यह गाना उस फ़िल्म से है जिसके गाने बहोत ही खूबसूरत होने के बावजूद ज्यादा लोकप्रिय नही हुए। फ़िल्म है "बेंडिट क्वीन "। शेखर कपूर दिग्दर्शीतएक अद्भूत फ़िल्म जिसको ज्यादातर लोग हजम नही कर पाये थे । सीमा बिस्वास का career best performence. जाने सीमा बिस्वास ने जी भर के अपना अभिनय कर दिया , फ़िल्म को जी लिया। 9 september 1994 को रिलीज़ हुई यह फ़िल्म, फूलन देवी पर आधारित थी , हालाकि इस फ़िल्म के कुछ द्रश्यो को सेन्सरकर दिया था और कुछ संवादों को भी, फ़िर भी यह फ़िल्म देखते समय कई लोगोने संवादों को लेकर उंगली उठायी और विरोध भी किया। पर यह फ़िल्म आज एक इतिहास है । neutral mind से यदि यह फ़िल्म देखे तो इस फ़िल्म की artistic value और brilliancy समज आती है।


बात करे फ़िल्म के संगीत की,
इस फ़िल्म में महान सूफी और कव्वाली गायक उस्ताद नुसरत फतह अली खान का संगीत था , रोजर व्हाइट ने भी उनका साथ दिया था । नुसरत साब के द्वारा गाये गए कुछ महान गायनो में से तीन गाने आपको इस फ़िल्म में से मिलेंगे । इन तीन गानों में से पहला गाना में आपको आज सुना रहा हूँ ।


यह गाना राग देस पर आधारित है । नुसरत साहब की बुलंद आवाज़ और शास्त्रीय संगीत पर उसका प्रभाव उभर उभर कर आता है (खास कर शुरुआत के और interlutes के आलाप के दौरान) । साथ ही में तबला का सुंदर प्रयोग।
शुरुआत नुसरत साहब की आलाप, बांसुरी और कोरस से होती है और फ़िर.... नुसरत साहब का कमाल ....


इस गाने के बारे में ज्यादा सोचने से बेहतर है इसे सुन लिया जाय ... जितनी बार सुनेंगे कुछ नया मिलेगा इस गाने से...

तो हाज़िर है " मोरे सैयां तो है परदेस...."



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ये रहे गाने के बोल ......

(कोरस)
सावन आया रिम झीम सांवरे
आए बादल कारे कारे
मतवारे प्यारे प्यारे
मोरे अंगना
झूम के
घिर घिर आए ओह्न्दी ओह्न्दी
देखो मस्त घटाएँ
फूर फूर आज उडाये आँचल
मोरा सर्द हवाएं
डारी डारी पे भवरा घूमके
आए कलियों के मुखड़े चुमके
जिया मोरा जलाएं हाय रे
प्यारी प्यारी रुत सावली

(नुसरत साहब )
मोरे सैयां तो है परदेस
में क्या करू सावन को
सुना लागे सजन बिन देस
में ढूंढु साजन को
मोरे सैयां.....

देखू राहे चढ़ के अटरिया
जाने कब आजाये सावारिया
जब से गए मोरी ली ना खबरिया
छोटा पनघट फूटी गगरियाँ
सूना लागे.....

क्यों पहनू में पग में पायल
मन तो है मुज बिरहन का घायल
नींद से खाली मोरी अखियाँ बोजल
रोते रोते बह गया काजल
सूना लागे .....

Saturday, September 6, 2008

स्व. परेश भट्ट की रचना, उन्ही की आवाज़ में... एक दुर्लभ गुजराती गीत...

गुजराती सुगम संगीत के क्षेत्र में कुछ ऐसे कला उपासक हुए जिन्हें बहोत कम लोग जानते है, पर जो भी जानते है वो आज भी उन्हें उतने ही सन्मान से याद करते है। स्व परेश भट्ट उनमें से एक है । उच्च कोटि के कोम्पोसर और श्रेष्ट गायक। बहोत कम उम्र में उनका देहांत हो जानेकी वजह से उनकी चंद रचनायें ही प्राप्य है और वो भी अति दुर्लभ है। वह एक विशिष्ट कोम्पोसर थे । वो अपने सभी compositions में कुछ नवतर प्रयोग करते थे । वैसा ही एक सुंदर प्रयोग उन्हों ने प्रस्तुत गाने में किया है ।


परेश भट्ट बहोत ही सुंदर गायक भी थे । गुजराती सुगम संगीत में मेरे सबसे पसंदीदा गायक। क्या गाया है इस गीत को, गाना सुनते वक्त उनकी आवाज़ मानो, गूंजती है हर तरफ़ । और वैसे भी जब ख़ुद composer ख़ुद अपना ही गाना गाता है तो वो गाने की मीठास कुछ और ही होती है ( जैसे की मदन मोहनजी की आवाज़ में "माए री " या फ़िर रहमान की आवाज़ में " वंदे मातरम्") ।


इस गाने को कवि श्री राजेंद्र शुक्ल ने लिखा है । श्री राजेंद्र शुक्ल एक उच्च कोटि के मूर्धन्य कवि है। उनके बारे में ज्यादा लिख नही सकता क्योंकि शब्द ही नही है, बस नाम ही काफ़ी है।

इस गाने की विशेषता यह है की, यह गाने की हर एक कड़ी भारत देश की विभूति या संत को संबोधित करती है। और वह कड़ी का composition उस प्रान्त से जुड़े संगीत का चित्र पेश करेगा (जैसे राजस्थान में मांड राग )

यह गाना लाइव रिकॉर्ड किया गया है । इसी लिए sound quality उतनी अच्छी नही है । गाने के बीच में परेश भट्ट अपने अंदाज़ में कुछ टिप्पणियां करते सुनाई देंगे । हारमोनियम, तबला, बांसूरी और परेश भट्ट.... और गाना.... i have no words to describe...


तो लीजिये सुनिए यह दुर्लभ और बेहद खूबसूरत गाना ....

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ये रहे गाने के शब्द ..... (अभी सिर्फ़ गुजराती में लिख रहा हूँ ...)

હજો હાથ કરતાલ ને ચિત્ત ચાનક;
તળેટી સમીપે હજો ક્યાંક થાનક.

લઈ નાંવ થારો સમયરો હળાહળ,
ધર્યો હોઠ ત્યાં તો અમિયેલ પાનક.

સુખડ જેમ શબ્દો ઊતરતા રહે છે,
તિલક કોઈ આવીને કરશે અચાનક.

અમે જાળવ્યું છે ઝીણેરા જતનથી,
મળ્યું તેવું સોંપીશું કોરું કથાનક.

છે ચન જેનું એનાં જ પંખી ચૂગે આ,
રખી હથ્થ હેઠા નિહાળે છે નાનક.

નયનથી નીતરતી મહાભાવ મધુરા,
બહો ધૌત ધારા બહો ગૌડ ગાનક.

શબોરોજ એની મહેકનો મુસલસલ,
અજબ હાલ હો ને અનલહક હો આનક.

आप ही समज जायेंगे पंक्ति और उसके सन्दर्भ को....

Sunday, August 31, 2008

एक खूबसूरत गीत "१९४७- अर्थ" फ़िल्म से...

Before 2 days, i ve seen the movie named "Mumbai Meri Jaan" (an excellent movie... must watch). as i was coming in car, co-incidently in my car stereo system the song played was "इश्वर अल्लाह तेरे जहाँमें नफरत क्यों है जंग है क्यों...." from the masterpiece movie "1947-earth"


"1947-earth" was released in 1999. Beautifully directed by genious Deepa Mehta. Aamir Khan, Rahul Khanna and Nandita Das have proved themselves in the film.




हलाकि यह फ़िल्म नॉन कॉमर्शियल आर्ट फ़िल्म थी , इसीलिए बॉक्स ऑफिस पर तहलका नही मचा सकी but जिस किसीने भी इसे देखा उसने यह फ़िल्मको बेहद पसंद किया (this movie is one of the best CRITICALLY ACCLAIMED films in the indian film history.) the film was based on Bapsi Sidwa's novel "Cracking India", published in 1991. (यह नोवेल १९९१ में अमेरिकामें publish हुई, और भारतमें १९९२ में publish हुई। This novel was originally published in 1988 in england with the title of "Ice Candy Man")


इस फ़िल्मकी एक और ख़ास बात थी.... वो था इस फ़िल्म का संगीत। ऐ आर रहमानके कुछ बेहतरीन compositions में इस फ़िल्मके गानों की गणना होती है।

As like the movie, songs also were not so popular but जिस किसीनेभी सुना, वो आज भी बार बार सुनते है। इस फ़िल्म के सारे गाने situational है । u can realise the story of the film just by listening the song and catching the lyrics.


The song i m putting here is again, one of my big favourites. beautifully beautifully composed by A.R.Rahman. heart touchy lyrics by Javed Akhtar and heartly sung by Sujata Mohan and Anuradha Shriram.


इस गाने में fretless base guitar (a type of base guitar) is used beautifully by Rahman। गानेकी शुरुआत से अंत तक ये बजता है । शुरुआत का जो music piece hai, वो ही पुरे गानेमें background में बजता है। आप सुनेंगे तो जान जायेंगे। दूसरे interlute में वीणा और पियानो का बेहतरीन combination। और उससेभी बड़ी बात है गायकी और गाने का mood. यह गाना एक समा बाँध देता है। this is on of the best lyrics written by Javed Akhtar sahab.
I ll try post more of this movie's songs in later posts.

so.... here is the song.....


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ये रहे गाने के बोल....

इश्वर अल्लाह तेरे जहाँ में नफरत क्यों है जंग है क्यों

तेरा दिल तो इतना बड़ा है इन्सां का दिल तंग है क्यों

कदम कदम पर सरहद क्यों है सारी ज्ञमीं जो तेरी है

सूरज के पहेरे धरती है फ़िर क्यों इतनी अँधेरी है,

इस दुनिया के दामन पर इन्सांके लहू का रंग है क्यों ,

इश्वर अल्लाह...

गूंज रही है इतनी चीखे प्यार की बातें कौन सुने,

टूट रहे है इतने सपने इनके टुकडे कौन चुने,

दिल के दरवाजों पर ताले, तालो पर ये झंग है क्यो

इश्वर अल्लाह्....

तो...कैसा लगा ये गीत???

Friday, August 29, 2008

"Chand madham hai..." a beautiful and 'not so popular song' from LATAJI-MADAN MOHAN

The song I am putting here is one of my most favourite numbers. Lataji and Madan mohan has given so many beautiful songs. this is one of them but this song is not famous like other numbers.
the song "चाँद मद्धम है..." is from the movie "Railway platform". the movie was released in 1955 staring Sunil Dutt and Nalini Jayvant. The movie was written and directed by Ramesh Sahegal. Music was composed by Madan मोहन and songs were written by Sahir Ludhiyanavi.
This is a very soothing song, having very less instrument।
गाने के साथ साथ बजती वायोलिन, पियानो के chords और फ्लूट के कुछ pieces के अलावा इस गाने में लताजीकी गायकी और दिल से निकली हुई आवाज़ ही preference में है ।
यह गाना राग भीमपलासी पर आधारित है । मदन मोहनजी के गाने बहुत मीठे होते है and this is not an exception. Lataji has sung her level best here. इस गाने में कोई हरकत मुरकी नही है पर बिल्कुल सादगी से पुरे, पुरे दिल से गाना गया है जो दिलको छू जाता है।
बात करे गाने के बोल की.... साहिर लुधियानवी साहब ने कमाल कर दिया है गाना लिख कर । हर एक लाइन बेहद खूबसूरत है। यह ग़ज़ल उर्दू गज़लों की कुछ चुनंदा गज़लोंमें से एक है और इसे उतने ही खुबसूरत अंदाज़ से निभाया है लताजी ने।
तो लीजिये सुनिए ये सुंदर गीत.

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ये रहे गीतके बोल...

चांद मद्धम है, आसमां चुप है।

नींद की गोद में जहां चुप है।

दूर वादी पे दूधिया बादल झुक के पर्वत को प्यार करते हैं।

दिल में नाकाम हसरतें लेकर,हम तेरा इन्तज़ार करते हैं।

इन बहारों के साये में आ जा फिर मोहब्बत जवां रहे न रहे।

ज़िन्दगी तेरे नामुरादों पर कल तलक मेहरबां रहे न रहे।

रोज की तरह आज भी तारे सुबह की ग़र्द में न सो जायें।

आ तेरे ग़म में जागती आंखें कम से कम एक रात सो जायें।

चांद मद्धम है, आसमां चुप है।

नींद की गोद में जहां चुप है।

१) गर्द - धूल, ख़ाक, एक प्रकारका रेशमी कपडा

२)नामुराद- बदनसीब , जिसकी कामना पुरी न हुई हो

Friday, August 22, 2008

A beautiful song from the movie BLACK

The first song i m putting is one of my very favourite songs from a very very nice movie 'BLACK'। Unfortunately this song was not included into the movie.

the song title is "हां... मैने छू कर देखा है..."

Beautifully sung by Gayatri aiyar (wife of famous singer Kunal Ganjawala). Gayatri Iyer is an I.I.M Graduate from Lucknow. उन्हों ने बहुत कम गाने गाये है। She was there as a playback singer in Bride & prejudice, Salaam-namaste (my dil goes...), Bhoot, Dhoom etc. films. but for me, she gave her best performance in Black.

This song is composed by Monti Sharma। हमने मोंटी शर्मा का जादू साँवरिया में देखा but he has composed this track yrs back. still one of the best compositions in the Indian film history.He has composed background score of SLB'S Devdas. u ll get more of his music in 2008 in the coming films i.e. Chamku,Heroes, Right ya wrong, 26 July at barista, etc।

Now coming to the lyricist. Prasoon Joshi. One of the most beautiful songs written by him. इस गाने के तीन अंतरे में वो पुरी फ़िल्म की कहानी कह देते है । Prasoon Joshi is indeed one of the most beautiful lyricist in the industry today। his best works can be heard in the films like TZP, Phir milenge, Rang De Basanti (Prasoon has also written the dialogues of RDB.), Fanna etc.

so now listen to this track. While listening pls listen carefully to the 3rd part and 4th part (गाने के पीछे से आती इंस्ट्रुमेंट्स की आवाजे ) u ll realise the beauty of the song. and yes... यदि आप जल्दी में है तो कृपया इसे मत सुने। यह गाना शान्ति से बैठ के सुनने लायक है ।


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ये रहे गाने के बोल...

मौसम की अदला बदली में पवन गुलाबी हो जाती है,

हाँ... मैने छू कर देखा है , हाँ... मैने छू कर देखा है,

रात सरक कर चलते चलते बिल्कुल आधी हो जाती है,

हां मैने छू कर देखा है, हाँ... मैने छू कर देखा है

गरम गुनगुनी धुप से बातें की है मैने,

पानी के बहने की हँसी सुनी है मैने

सब कहते है दीप बूझा है,

लेकिन बात्ती सो जाती है ,

हाँ... मैने छू कर देखा है...

बिन दस्तक के आए जो वो प्यार सुना है

बिन बोले मन खोले वो अधिकार सुना है,

लम्हों की उंगली थाम के यादें आँगन में आ जाती है

हाँ... मैने छू कर देखा है...

ठंडा ठंडा रंग बूंदों का

मुलायम रंग है फूलो का

चुभने वाले रंग पहन कर,

दुल्हन सज धज के जाती है,

हाँ... मैने छू कर देखा है... हाँ मैने छू कर देखा है...

so.... how was the song....???

या देवी सर्वभूतेषु कला रूपेण संस्थिता

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः ।।

hi friends....

this is my first post to my blog reciting the goddess of music. In this blog, i ll put some of very good music to share with u from my music collection...

hope u ll appreciate it....

looking for yr nice response...

Kedar